Electoral Bond Kya Hota hai: इलेक्टोरल बॉन्ड एक ऐसा वित्तीय जरिया है जिसमें लोगों को राजनीतिक दलों को चंदा देने का अवसर मिलता है। परन्तु हाल ही में इलेक्टोरल बॉन्ड पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
अब यह एक सामान्य नागरिक के लिए सवाल उठता है कि इलेक्टोरल बॉन्ड क्या होता है, इसे कैसे और किसे खरीदने का अधिकार होता है। साथ ही, इस पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है, इसके पीछे का कारण क्या है, यह भी जानने की आवश्यकता है।
Electoral Bond Kya Hota hai?
भारत सरकार ने 2017 में Electoral Bond योजना की घोषणा की थी। इसके बाद, सरकार ने 29 जनवरी 2018 को इसे कानूनी रूप दिया। यह योजना राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। Electoral Bond एक शपथ पत्र की तरह है, जिसे SBI से खरीदा जा सकता है। इसके माध्यम से दान देने वाले लोग अपनी पसंदीदा पार्टी को गुमनाम रूप से वित्तीय समर्थन प्रदान कर सकते हैं।
इलेक्टोरल बॉन्ड्स के लिए समय सिर्फ 15 दिन होता है। इस बॉन्ड के माध्यम से केवल उन राजनीतिक दलों को चंदा दिया जा सकता है जिन्होंने पिछले आम चुनाव में लोकसभा या विधानसभा के लिए कम से कम 1% वोट प्राप्त किया हो।
Electoral Bonds List
किस पार्टी को कितना चंदा मिला है, इसके बारे में आपको नीचे दिए गए टेबल में विस्तार से बताया गया है।
पार्टी | चंदा (करोड़ रुपये) |
---|---|
बीजेपी | 6,986.5 (2019-20 में सबसे ज्यादा 2,555) |
कांग्रेस | 1,334.35 |
टीएमसी | 1,397 |
डीएमके | 656.5 |
बीजेडी | 944.5 |
वाईएसआर कांग्रेस | 442.8 |
तेदेपा | 181.35 |
सपा | 14.05 |
अकाली दल | 7.26 |
AIADMK | 6.05 |
नेशनल कॉन्फ्रेंस | 0.50 |
बीआरएस | 1,322 |
Electoral Bonds पर लगाई गई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना, अनुच्छेद 19 (1) (A) का उल्लंघन है। इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दी है। हर नागरिक का यह अधिकार है कि वह जाने कि किस सरकार को कितना धन मिला है।
अदालत ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा चुनावी बॉन्ड के माध्यम से अब तक किए गए सभी योगदानों के विवरण 31 मार्च, 2024 तक चुनाव आयोग को प्रस्तुत किए जाएं। इसके साथ ही, अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह 13 अप्रैल, 2024 तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इस संबंध में जानकारी शेयर करे।
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— ANI (@ANI) February 15, 2024
कब और कौन खरीद सकता है इलेक्टोरल बॉन्ड?
Electoral bond को जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीने में जारी किया जाता है। इसे ऐसा कोई भी नागरिक खरीद सकता है जिसके पास एक ऐसा बैंक खाता हो, जिसमें केवाईसी की जानकारियां उपलब्ध हों। Electoral bond में भुगतान कर्ता का नाम नहीं होता है।
योजना के अंतर्गत SBI से 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख रुपये, दस लाख रुपये और एक करोड़ रुपये के किसी भी मूल्य के Electoral Bond खरीदे जा सकते हैं। लेकिन अब SBI को एक बड़ा झटका लगा है।
कैसे काम करते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड?
इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल करना काफी सरल होता है। ये बॉन्ड 1,000 रुपए के मल्टीपल में पेश किए जाते हैं, जैसे कि 1,000, ₹ 10,000, ₹ 100,000 और ₹ 1 करोड़ की रेंज में हो सकते हैं।
इलेक्टोरल बॉन्ड SBI बैंक से लिए जाते हैं। इसे कोई भी डोनर जिनका बैंक से KYC- COMPLIANT अकाउंट हो बो लोग इस तरह के बॉन्ड को खरीद सकते हैं, फिर उसके बाद में इन्हें बे किसी भी राजनीतिक पार्टी को डोनेट कर सकते है। फिर उसके बाद रिसीवर इसे बैंक से कैश में कन्वर्ट करवा सकता है। और इसे कैश कराने के लिए पार्टी के वैरीफाइड अकाउंट का यूज भी किया जाता है। इलेक्टोरल बॉन्ड भी सिर्फ 15 दिनों के लिए ही वैलिड रहते हैं।
किसे मिलता है इलेक्टोरल बॉन्ड?
भारत देश में जितने भी राजनीतिक दल हैं उन सभी दलो को यह बॉन्ड मिलता है, लेकिन इसके लिए एक शर्त यह भी है कि उस पार्टी को पिछले आम चुनाव में कम-से-कम 1% या उससे ज्यादा वोट मिले जरूर मिले हों। ऐसी ही registered पार्टी इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा पाने का हकदार होगी। सरकार के मुताबिक,’ इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए ब्लैक मनी पर नियंत्रण होगा और चुनाव में चंदे के तौर पर दिए जाने वाली रकम का हिसाब-किताब रखा जा सकेगा। इससे चुनावी फंडिंग में सुधार होगा।
Note:- कृपया ध्यान दें, income-mall.com पर उपलब्ध जानकारी कोई निवेश सलाह नहीं है। शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें।
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